जिंदगी के बड़े झमेले हैं
और हम चल रहे अकेले हैं
याद है झिलमिली सी साँसों में
चश्मे नम आँसुओं के रेले हैं
जो हैं आबाद उन्हीं की ख़ातिर
जिंदगी में हज़ार मेले हैं
है झपकती जो पलक पल भर भी
ख़्वाब जगते नये नवेले हैं
जीस्त आसान कब हुई किस की
हर घड़ी नित नये झमेले हैं
दूर साहिल है भँवर में कश्ती
दर्द इस दिल ने बहुत झेले हैं
एक जलती हुई चिता में हम
चिनगियों से हमेशा खेले हैं