पिंजरे में बराबर
बाघ और बकरी
बेबस फांदते कंदील
करते आज्ञा स्वीकार
जिजीविषा मजबूर करती है
खाने को
उसे
बांधिए डोर
ले चलिए चाहे जिस ओर
पिंजरे में बराबर
बाघ और बकरी
बेबस फांदते कंदील
करते आज्ञा स्वीकार
जिजीविषा मजबूर करती है
खाने को
उसे
बांधिए डोर
ले चलिए चाहे जिस ओर