पारी के लोगों की जिज्ञासाएँ अपनी हैं
भीड़ से अलग नजर आती है उत्सुकताएँ
मैंने राजघरानों को कल व्हील चेयर पर बैठकर देखा है।
अलाक्सांदर बताना (कुर्सी को ठेलते हुए)
क्या बूढ़ी हो गई है मेरी घुमक्कड़ी!
हम दोनों हर कक्ष में क्यों हँसी का
अपना-अपना नक्शा छोड़ते आ।