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जिन्दगानी में बेक़रारी है / रंजना वर्मा

जिन्दगानी में बेक़रारी है
याद आने लगी तुम्हारी है

नींद आती ही नहीं आँखों में
रात सँग याद के गुजारी है

याद में जागते रहे हैं हम
आप की आँखों में खुमारी है

रोकने से कभी नहीं रुकते
अश्क़ आँखों में हुई यारी है

सिर्फ दर्शन की चाह है दिल में
दर तुम्हारा है दिल भिखारी है

साँवरे मुझ पे भी दया करना
तुमने बिगड़ी सदा सँवारी है

हमने तो जिंदगी निछावर की
अब तुम्हारी वफ़ा की बारी है