Last modified on 20 मार्च 2011, at 14:05

जिन्होंने मरने से इन्कार किया / मनमोहन

जिन्होंने मरने से इन्कार किया
और जिन्हें मार कर गाड़ दिया गया
वे मौक़ा लगते ही चुपके से लौट आते हैं
और ख़ामोशी से हमारे कामों में शरीक हो जाते हैं

कभी-कभी तो हम घंटों बातें करते हैं
या साथ साथ रोते हैं

खा खाकर मर चुके लोगों को यह बात पता चलनी
ज़रा मुश्किल है
जो बड़ी तल्लीनता से अपने भव्य मक़बरे बनाने
और अधमरे लोगों को ललचाने में लगे हैं