अपने सामान की
आप जिम्मेदार है सवारी
अपनी सोच
अपने ख़्यालों
अपने ख़्वाबों के भी
आप जिम्मेदार हैं सारे
सँभाल कर रखना
जेबों में पड़े खूबसूरत ख़्याल
कि यहाँ घूमते हैं
निर्दयी जेबकतरे
यहाँ घूमते हैं
ख़्वाबों के हत्यारे
इस यात्रा में
डालना मत आँखों में
सपनों का काजल
पहनना मत इच्छाओं के गहने
होठों से पोंछ कर मुस्कराहट भी
छोड़ आना घर
माथे पर सूरज की बिंदी लगा कर भी
सफर न करना कभी
खतरनाक है
दिलों में मोहब्बत लेकर जाना
किसी के लिए
खुशी से भरी खबर भी मना है
यहाँ उमंगों पर बंदिश है
हँसने पर लगी है रोक
वर्जित हैं यहाँ
आँखों में सपने सजाना
इस यात्रा में सब कुछ
छोड़ आना घर
एक दुआ बस यही होठों पर रखना
कैसे भी पूरे का पूरा
पहुँच जाए आदमी घर अपने
चाहे सोच हो खंडित
चाहे अधूरे हों सपने।