Last modified on 24 अक्टूबर 2016, at 22:39

जिवलेवा / मुरली चंद्राकर

जिवलेवा होगे ऐ बहिनी सोलहो सिंगार
ये मौसम के बछर उमरिया होवथे खुंवार
पर्सा फुल ह चबढी चबाथे, चिढ चढ़ाथे सेम्हर
बिजराथे गुलमोहर मेंहंदी हदियाथे हरदी केसर
जिवलेवा होगे रे, जिवलेवा होगे हाय! राम
ये छत रंगीया उमर चुनरिया होगे तार तार
जीव लेवा होगे ऐ बहिनी सोलहो सिंगार