गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 13 मार्च 2011, at 22:10
जिस एक काँटे से / गगन गिल
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
गगन गिल
»
अँधेरे में बुद्ध
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
जिस एक काँटे से
बचने के लिए
तैरती रही मछली
समुंदर-दर-समुंदर
उसकी देह में छिपा था
1990