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जिस तरह से तुम कहो प्रिय / सरोज मिश्र

जिस तरह से तुम कहो प्रिय
जन्म दिन वैसे मनाऊँ!

तोड़ लाऊँ धूप नभ से, रूप का सिंगार कर दूँ!
मेघ से काजल निचोडूं, कोर पर पलकों की धर दूँ!
झुमकियाँ तारों की प्रियतम, चांद की नथनी बनाऊँ!
जिस तरह से तुम कहो प्रिय
जन्म दिन वैसे मनाऊँ!

बाग से महकी हवाएँ, तार बिखरी चांदनी से!
इन्द्रधनु से ले किनारी, रंग नीली यामिनी से!
एक चूनर बुन के झिलमिल, मधुरिमे तुमको उढ़ाऊँ!
जिस तरह से तुम कहो प्रिय
जन्म दिन वैसे मनाऊँ!

स्वप्न जो है प्रिय तुम्हे वो, यदि कभी आंखों से रूठे!
नींद की वंशी सुरीली, रात के हाँथो से छूटे!
बैठ कर थोड़ा निकट मैं, भोर का नवगीत गाऊँ!
जिस तरह से तुम कहो प्रिय
जन्म दिन वैसे मनाऊँ!