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जिस सिम्त नज़र जाए, वो मुझको नज़र आए / शतदल

जिस सिम्त नज़र जाए, वो मुझको नज़र आए ।
हसरत है कि अब यूँ ही, ये उम्र गुज़र जाए ।

आसार हैं बारिश के, तूफाँ का अंदेशा है
मौसम का तकाज़ा है, अब कोई न घर जाए ।

तामीरों-तरक्की का, ये दौर तो है लेकिन,
ये सोच के डरता हूँ, एहसास न मर जाए ।

हो जिसका जो हक ले-ले, गुलशन में बहारों से
ये मौसमे-गुल यारों, कल जाने किधर जाए ?