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जीत / अनिल शंकर झा

जीते-जीत, जीते-जीत,
सब मोर्चा पर जीते-जीत।

कश्मीरोॅ में जीते-जीत
तिब्बत में भी जीते-जीत
गोरखालेंडोॅ के ही हस्ती
पंजाबोॅ में बडके जीत।

उत्पादन छै दुगना-तिगुना
मँहगाई भेलै पचगुन्ना
जात-पात के झंडा ऊँचा
कच्चा सूतोॅ छै भयभीत।

प्रजातंत्र में नेता राजा
जनता-वोटर लड्डू खाजा
बुद्धिजीवी छै हलबैया
पाँती में बैठोॅ जी मीत।

लूटै के कूअत छै जेकरा
न्याय तराजू भी छै ओकरा
चतुर चलाकोॅ के दुनिया छै
चित भी हुनके, पट भी जीत।

जहिया तक आकाश हियैमेॅ
तहिया तक पाताल लुटैमेॅ
बन्होॅ मुट्टी तानोॅ सीना
ई मोरचा पर तोरे जीत।
जीते-जीत, जीते-जीत,
सब मोर्चा पर जीते-जीत।