जीवकान्तक कवितामे सन्हिआएल अछि खोपड़ी पर बैसल चिड़ै दुआरि-दुआरि छिछिआइत कुकुर खाँड़ोक पानिमे हेलै महीस आ मायक देह पर छड़पैत बेदरा। जीवकान्तक कवितामे लतरल अछि मधुबनी पेंटिंग भोतिआएल अछि नारा उधिआएल अछि कोशीक पानि हुलकैत अछि वेदना।