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जीवन-दर्शन / महेन्द्र भटनागर

बहिर्गति —
भौतिक स्पन्दन;

अन्तर-गति

जीवन।


जीवन गति का वाहक —

मैं

सतत नियन्त्रक —

मैं

जब - तक

गतिशील रहेगा जीवन

इतिहास रचेगा

मानव-मन
मानव-तन।

लय हो न कभी;

जीवन लयवान रहे,

कण-कण गतिमान रहे।


लयगत होना

अन्तर गति खोना।