जीवन हमारा फूल हरसिंगार-सा
जो खिल रहा है आज,
कल झर जायगा!
इसलिए,
हर पल विरल
परिपूर्ण हो रस-रंग से,
मधु-प्यार से!
डोलता अविरल रहे हर उर
उमंगों के उमड़ते ज्वार से!
एक दिन, आख़िर,
चमकती हर किरण बुझ जायगी...
और
चारों ओर
बस, गहरा अँधेरा छायगा!
जीवन हमारा फूल हरसिंगार-सा
जो खिल रहा है आज,
कल झर जाएगा!
मत लगाओ द्वार अधरों के
दमकती दूधिया मुसकान पर,
हो नहीं प्रतिबंध कोई
प्राण-वीणा पर थिरकते
ज़िन्दगी के गान पर!
एक दिन
उड़ जायगा सब;
फिर न वापस आयगा!
जीवन हमारा फूल हरसिंगार-सा
जो खिल रह है आज,
कल झर जायगा!