Last modified on 3 अगस्त 2020, at 02:09

जीवन अन्धेरे भरा अंग-भंग / सोमदत्त

60 करोड़ लोग हैं
10 करोड़ मकान
10 लाख मकानों में 90 से ऊपर दरवाज़े 30 से ऊपर खिड़कियाँ हैं
50 लाख मकानों में 5 से 9 तक दरवाज़े 90 से ऊपर खिड़कियाँ हैं
40 लाख मकानों में 2 से 4 तक दरवाज़े 5 से ऊपर खिड़कियाँ हैं
8 करोड़ मकानों में 8 करोड़ दरवाज़े 16 करोड़ के आस-पास
खिड़कियाँ हैं
9 करोड़ मकानों में 9 करोड़ दरवाज़े हैं
 
इन दरवाज़ों की पीठ पर सूरज धूनी रमाता है
ये दरवाज़े उसका बोझ ढोते-ढोते झुक गए हैं
इनमें रहने वाले बच्चे बूढ़े अपंग रोशनी की कसी से
उनके हाथ-पाँव-दिल-दिमाग़ के भीतर जो जीवन है
अन्धेरे भरा अंग भंग
उसका ज़िम्मेदार कौन है ?
कौन है कौन है कौन है कौन ?

गूँज रहा है
59 करोड़ 50 लाख लोगों के गुम्बद में
सवाल !