जीवन का हर पल है मधुरिम हमने ही कम जाना
लिखा हुआ है साँसों का चलते चलते थम जाना
यादें जैसे कठिन समस्या जीना भी मजबूरी
कितना मुश्किल होता है उम्मीदों का जम जाना
अच्छे और बुरे सँग आयें अच्छाई हो भारी
दोनों के मिलने को ही दुनियाँ ने संगम जाना
प्रतिदिन साँसों का आना जाना भी तो है एक छलावा
दुनियाँ सत्य समझती जिस को संतों ने भ्रम जाना
स्वर्ग सदृश संसार कहा करते हैं पैसे वाले
खाया नहीं पेट भर जिस ने उसने ही ग़म जाना
जीवन का पथ एक पहेली कौन इसे सुलझाये
किन्तु इसी उलझन को सारे जग ने परचम जाना
ध्यान लगा कर जिसने जगा लिया अपना अंतर्मन
उस ने मृत्युलोक को सब लोकों से अनुपम जाना