Last modified on 4 अक्टूबर 2015, at 22:13

जीवन की सारी गाथा / पृथ्वी पाल रैणा

एक ही पन्ने में आ जाती,
इस जीवन की सारी गाथा ।
तुमनें इतने ग्रंथ लिखे और,
जाने उनमें क्या लिख डाला ।
ढोंग रचा खोने पाने का,
लोभ मोह से जांचा परखा ।
भय से रिक्त नहीं हो पाये,
सुख चाहा पर दु:ख को पाला ।