हत आस्था
लहू में लथपथ
पराजित सैनिक की
कुहनियों के बल, श्लथ
मृतवत साँप-सी रेंगन
दो बूंदों की हँपहँपाती प्यास-
जीवन की,
जिजीविषु की,
ऎसी जिजीविषा !
हत आस्था
लहू में लथपथ
पराजित सैनिक की
कुहनियों के बल, श्लथ
मृतवत साँप-सी रेंगन
दो बूंदों की हँपहँपाती प्यास-
जीवन की,
जिजीविषु की,
ऎसी जिजीविषा !