धन के मन कॉप गये डर से।
जन के जीवन में ज्वार उठे
हक़ लेने को हक़दार उठे
कंजूस डरे कारीगर से।
तीखी-सी एक मशाल जले
शोषण के व्रण से, प्रण निकले
अक्षर टकराए पत्थर से।
(राग मालकोंस पर आधारित गीत)
धन के मन कॉप गये डर से।
जन के जीवन में ज्वार उठे
हक़ लेने को हक़दार उठे
कंजूस डरे कारीगर से।
तीखी-सी एक मशाल जले
शोषण के व्रण से, प्रण निकले
अक्षर टकराए पत्थर से।
(राग मालकोंस पर आधारित गीत)