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जीवन वृत्तांत / अष्‍टभुजा शुक्‍ल

उठाया ही था पहला कौर
कि पगहा तुड़ाकर भैंस भागी कहीं और

पहँचा ही था खेत में पानी
कि छप्पर में आग लगी, बिटिया चिल्लानी

आरम्भ ही किया था गीत का बोल
कि ढोलकिया के अनुसार फूट गया ढोल

घी का था बर्तन और गोबर की घानी
चाय जैसा पानी पिया, चाय जैसा पानी

मित्रों ने मेहनत से बनाई ऐसी छवि
चटक और दबावदार कविता का कवि

एक हाथ जोड़ा तो टूट गया डेढ़ हाथ
यही सारा जीवन वृत्तान्त रहा दीनानाथ !