भूखे का भोजन
प्यासे का पानी
ठिठुरते की आग
तपते को हवा
बेघर का घर
ज़रूरतमंद का धन
लुटे-पिटे का ढाढ़स
बिछुड़ते का राग
फगुवे का फाग
गर इतना भी बन न पाया
हाय! जीवन यॅू ही व्यर्थ गँवाया ।
भूखे का भोजन
प्यासे का पानी
ठिठुरते की आग
तपते को हवा
बेघर का घर
ज़रूरतमंद का धन
लुटे-पिटे का ढाढ़स
बिछुड़ते का राग
फगुवे का फाग
गर इतना भी बन न पाया
हाय! जीवन यॅू ही व्यर्थ गँवाया ।