जीवन सफल करो
करूँ आरती मातु भारती! चरण-चरण उतरो
फूले फेनिल जलनिधि-सा मन
कल्लोलित हिल्लोलित यौवन,
शारद-हासिनि! हे नभ-वासिनि! स्वर-आभरण धरो
तृण- तरु-चेतन, भू-नभ-कविता
नखत रजत-अक्षर, रज-सविता
अमृत-विलासिनी! जगत-प्रकाशिनि! जन-जन-मन विहरो
करुणामयि, शतरूपिणि, धन्या
अंतर-छाया-ज्योति अनन्या
भव-भय-नाशिनि! हृदय-हुलासिनि! मंगल-राग भरो
जीवन सफल करो
करूँ आरती मातु भारती! चरण-चरण उतरो