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जीवन - 2 / संगीता गुप्ता


जहाँ
सब खत्म हो गया, अचानक
वहीं - उसी छोर पर
पल भर में
नयी दुनिया: एक नन्हीं - सी कोंपल
हिलाने लगी हाथ

उस कोंपल की हरियाली में
डूब जाती है

यह डूबना उसे भर देता है
उबरने के
एहसास से
आपाद
नमी से...