ओ अकाल!
तेरे दंभ को
कर देंगे चूर-चूर
न सूखेंगे
हींगवाण
कंकेड़ा
इरणां
भुरट-मुरट
सीवण-धामण बूर।
न सही जल
जीव ह
जीवेष्णा है यहां
जो करेगी
हर हल में
हरियल भरपूर।
ओ अकाल!
तेरे दंभ को
कर देंगे चूर-चूर
न सूखेंगे
हींगवाण
कंकेड़ा
इरणां
भुरट-मुरट
सीवण-धामण बूर।
न सही जल
जीव ह
जीवेष्णा है यहां
जो करेगी
हर हल में
हरियल भरपूर।