गोवा से पणजी तक
जुआरी नदी पर
बन चुका था पुल
पर नहीं थी
पार जाने की आज्ञा
महामहिम आएंगे
कटेगा फ़ीता
फ़ीता कटेगा तो जाएगा ख़ुल
जुआरी नदी का पुल
गोवा वालो
पच्चीस वर्ष कर ली प्रतीक्षा!
चार दिन और सही
धीरज का फ़ल
होता है मीठा
यूं भी कहीं
भागा नहीं जाता
जुआरी नदी का पुल
पहली फुर्सत में
मुख्य अतिथि आएंगे
बच्चे,स्वागत-गान गाएंगे
फ़ीता कटेगा
नाका हटेगा
और उदघाटित हो जाएगा
जुआरी नदी का पुल!
कहता है सिपाही
नीली कमीज़ वाले बच्चे से,
मच्छी बाली मीनाक्षी से,
नारियल-पानी वाली अम्मा से,
ख़ैनी-फैनी वाले शौकीन बुढ़ऊ से
अरे क्यों जाते हो मरे
क्यों करते हो धक्कम पेल
नाव में जगह पाने की जल्दी में
डुबोकर नाव ही,
पहुंच न जाना कहीं
जुआरी की मच्छियों के पेट में!
आज नहीं तो कल होगा उदघाटन
होगा उदघाटन तो जाएगा खुल
जुआरी नदी का पुल!
तभी अचानाक!
ख़ाकी वर्दी वाली महिला
लाल धारियों वाली
सफेद जीप से उतरी
खट-खट जूते बजाती
नाके तक आई
हड़बड़ाए सिपाही ने किया सैल्यूट
हटाओ यह नाका! कहा उसने
सिम-सिम! नाका गया खुल
और सफेद लाल जीप
गई पुल पर से निकल!
पीछे-पीछे भागता निकला ,
नीले अम्बर जैसी कमीज़ वाला वच्चा,
चली मंथर गति से लहराती,
कजरी आँखों वाली मीनाक्षी,
हाथ पर खैनी मलता बुज़ुर्ग,
सभी पुल से निकले
और गया खुल
जुआरी नदी का पुल
काल के मस्तक से
निकली एक किरन
काटा नहीं किसी ने
कोई रिबन
फिर भी
उदघाटित हुआ
हुआ उदघाटित
जुआरी नदी का पुल