खेलै छै कत्तेॅ अच्छा,
हमरोॅ दुयो जीवोॅ रोॅ बच्चा।
कोय माँगै छै चटनी कोय झुंझुना,
हम्में देलियै लानी सुपती मौनी खिलौना।
चट सें उठाय केॅ पकड़लकै कोणा,
हुन्ने बिलखी- बिलखी केॅ कान्ने लागलै मुन्ना।
है कत्तेॅ छै विहाय बुतरू सच्चा।
खेलै छै कत्तेॅ अच्छा।
एके दिनोॅ रोॅ जनम दुय्यो छै जुड़वा,
मुन्ना छै सीधा मुन्नी पढ़ाय छै घूरूवा।
कोरा उठैलियै मुन्ना केॅ, मुन्नी कहै छै धूरूवा
सानी केॅ देलियै सत्तू मुन्नी मांगै छै चुढ़वा।
लानी देलकै ‘‘संधि’’ टिकली, बिन्दी, लच्छा,
खेलै छै कत्तेॅ अच्छा।