तुम से केवल यही कहा नहीं जायेगा
अब जुदाई का पल सहा नहीं जायेगा
आप से जब न होंगीं मुलाकातें
इस दुनिया में रहा नहीं जायेगा
दिल हो गया मेरा चिथड़ा-चिथड़ा
किसी दर्जी से सिया नहीं जायेगा
दोस्ती आते-जाते विचारों का मेला है
यहाँ अब तन्हा-तन्हा रहा नहीं जायेगा
हम तो बेवश है तुमसे मिलने से भी
इतना कि मुँह से कहा नहीं जायेगा।