मुझसे अक्सर पूछते हैं हमारे दोस्त
एक हजार एक सौ एक दिन होने को आए
कहो
अब भी तुम्हारी याद आती है मुझे
मैं मानती हूँ
पसीने की बूँद ही को मानती हूँ
जो सरक रहा है इस समय
मेरे कान के पीछे
पता नहीं बाबू
यह उनके सवाल की ऊब है
या मेरा बुखार उतर रहा है