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जुदाई गीत-6 / तेजी ग्रोवर

तुम्हें भी याद होगा
कभी-कभी तुम मेरे कपड़े पहनते थे
और मैं तुम्हारे
कुछ ऐसे भी थे जो कभी तुम कभी मैं
याद है न वो चैक शर्ट
जिसकी बाँहें मेरे लिए लम्बी थीं

बहरहाल
मेरे बचपन का लम्बा पीला फ़्रॉक तुमने पहन रखा है
लम्बे
अण्डाकार आईने के सामने
बहुत उदास
इस समय
तुम मेरे स्वप्न में देख रहे हो

आईने में देख रहे हो
फ़्रॉक पर कढ़ाई करने की धुन सवार है
सफ़ेद धागे की लहरिया पर नज़र है तुम्हारी
बाईं योक पर नमूने उकेरती
सुई तुम्हारे हाथ में है
लेकिन तरल है

टाँका सरल नहीं है
(मैंने तो चौथी में इसे सीखा था)

मैं पीछे से आती हूँ
देखती हूँ
तुम्हारी भूरी गुनगुनी उँगलियाँ
कितना महीन काम कर रही हैं

मैं क्या इतनी देर बाहर रही
इतनी देर
कि सात सुन्दर बेल तुम भर चुके हो

तुम आईने में धागे ही को देखते हो
मन ही मन बोलते हो, एकसुर
वो ,ऐसी जगह है
जहाँ मैं तुम्हें याद नहीं कर सकता
बस, अब मैं यहीं हूँ
यहीं हूँ, बुब्ना

तुम बोलते हो बुब्ना मेरा नाम
और धागे को दाँत से काट भी देते हो

और आईना मेरे कमरे में
मेरे सामने
मेरी दीवार तक सरक आता है

अब मैं सामने हूँ
तुम मेरे पीछे खड़े आईने में देख रहे हो

यह, ऐसी जगह है
जहाँ मैं तुम्हें याद कर सकती हूँ
और कहती हूँ कि तुम्हें भूलने आई हूँ

बस
मैं भी अब यहीं हूँ

और मुझे अजीब नहीं लगता
कि आईने में तुम्हारी शक़्ल
मेरे भाई जैसी है