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जूण रो जथारथ / हरीश बी० शर्मा


जे जूण में आयो है
मानखै री
तो मान‘र चाल
तकलीफां तो आसी
फोड़ा तो पड़सी
पण थ्यावस राख
करमां री कहाणी
अर लकीरां री सैनाण सूं दूर
एक सूरज, थोड़ा तारा
अर पळकतो चंदरमा
थारी बाट जोवै।