जूते में अपना पाँव डालते ही
लगता है
कि सिर डाल रहा होऊँ
फिर वही एक आवाज़ गूँजने लगती है
ठक-ठक
ठक-ठक से ऊँचा कोई भी स्वर
हो जाता है असह्य
जिसे उड़ा देना चाहता है जूता
अपनी ठोकरों में
और ऐसा करते
अक्सर वह
मेरे अपने ही सर से
ऊपर उठ जाता है।
जूते में अपना पाँव डालते ही
लगता है
कि सिर डाल रहा होऊँ
फिर वही एक आवाज़ गूँजने लगती है
ठक-ठक
ठक-ठक से ऊँचा कोई भी स्वर
हो जाता है असह्य
जिसे उड़ा देना चाहता है जूता
अपनी ठोकरों में
और ऐसा करते
अक्सर वह
मेरे अपने ही सर से
ऊपर उठ जाता है।