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जेकरा बैला के असवारी / महेन्द्र मिश्र

जेकरा बैला के असवारी।
भज लऽ भोलानाथ, त्रिपुरारी,
जेकरा बैला के असवारी।
अनका के अनधन कहाँ से ले आवेलें,
अपने चिबावे पात बनि के भिखारी।
जेकरा बैला के असवारी।
चन्द्रमा लिलार जटा गंगाजी के धारी।
रहेलें मगन संगे पारवती प्यारी,
जेकरा बैला के असवारी,
हाथ में तिरसूल सोहे गले सँपहारी,
कानवाँ में बिच्छी कुंडल नील कंठवारी,
जेकरा बैला के असवारी।
कहत महेन्द्र जप लऽ रोज त्रिपुरारीं,
राख लीहन सरन कैलास के बिहारी,
जेकरा बैला के असवारी।