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जेठो के दुपहरिया / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

जेठो के दुपहरिया में तरबा गरमाबै छै।
पानी छै पतालो में कुइयां खनबाबै छै।

बेटी के लगन लागै, सुतलो सपना जागै
धड़फड़-धड़फड बाबुल, मड़वा छरबाबै छै।

आगिन उगलै चुलहा, मन में नाचै दुलहा
छप्पर के फुलंगी पर, कौवा गहलाबै छै।

पूरबा-पछिया गुमषुम, गुमषुम पीपल गछिया
कोयल गाबी-गाबी हमरा बहलाबै छै।

गल्ला से मिली गल्ला, झुम्मर गाबै छल्ला
हल्दी जे लपेसी के, रगड़ी लहबाबै छै।