क्या दिया-लिया?
जैसे
जब तारा देखा
सद्यःउदित
—शुक्र, स्वाति, लुब्धक—
कभी क्षण-भर
यह बिसर गया
मैं मिट्टी हूँ;
जब से प्यार किया,
जब भी उभरा यह बोध
कि तुम प्रिय हो—
सद्यःसाक्षात् हुआ—
सहसा
देने के अहंकार
पाने की ईहा से
होने के अपनेपन
(एकाकीपन!) से
उबर गया।
जब-जब यों भूला,
धुल कर मंज कर
एकाकी से एक हुआ।
जिया।