बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
जोगिन भई राधिका गोरी।
अवै उमर है थोरी।
बाजन लगी चमीटा चुटकी।
नईं लाज ना चोरी।
अंग भभूत बगल मृगछाला,
डरी कँदा पै झोरी।
ईसुर जाय हटी सौं कइयौं,
पालागन है मौरी॥
जोगिन भई राधिका गोरी।
अवै उमर है थोरी।
बाजन लगी चमीटा चुटकी।
नईं लाज ना चोरी।
अंग भभूत बगल मृगछाला,
डरी कँदा पै झोरी।
ईसुर जाय हटी सौं कइयौं,
पालागन है मौरी॥