Last modified on 18 अगस्त 2014, at 15:40

जोड़ा / टोमास ट्रान्सटोमर

वे बत्ती बंद कर देते हैं और उसकी सफेद परछाईं
टिमटिमाती है एक पल के लिए विलीन होने के पहले
जैसे अँधेरे के गिलास में कोई टिकिया और फिर समाप्त
होटल की दीवारें उठते हुए जा पहुँची हैं काले आकाश के भीतर
स्थिर हो चुकी हैं प्रेम की गतिविधियाँ, और वे सो गए हैं
मगर उनके सबसे गोपनीय विचार मिलते हैं
जैसे मिलते हैं दो रंग बहकर एक-दूसरे में
किसी स्कूली बच्चे की पेंटिंग के गीले कागज पर
यहाँ अँधेरा है और चुप्पी मगर शहर नजदीक आ गया है
आज की रात समीप आ गए हैं अँधेरी खिड़कियों वाले मकान
वे भीड़ लगाए खड़े हैं प्रतीक्षा करते हुए
एक ऎसी भीड़ जिसके चेहरों पर कोई भाव नहीं

(अनुवाद : मनोज पटेल)