हाथ जोड़ि विनती करी ना गुरुदेव जी के
चरन के धुरी लेई माथ प चढ़ाइना
बेरी-बेरी सुमिरीना गुरु के चरनिया के
नाथ अब पनिया से पिण्ड के सँवारी ना
दिहनी जे मंतर त मंतर के सिद्धी दिहीं
जोतिया के बतिया के नाथ उसुकाई नां
योगवा के बोरसी में आग लहकाईं आईं
प्रेमवा के अगिया में काया धधकाई नां