जो पदार्थ है
नष्ट नहीं होता कभी
रूप बदलता है केवल
कि जैसे पानी—
उड़ गया तो भाप,
जम गया तो बर्फ़ ।
जो अमूर्त है
वह भी नष्ट नहीं होता कभी
बस, रूप बदलता है केवल ।
तोलना एक-एक शब्द
कि तुम क़ैद रहोगे जीवन-भर
किसी की स्मृतियों में
और हाँ, अपनी भी ।