जो उठाई है ध्वजा झुकने न देना
प्राणमय विश्वास बन कर गीत लहराए
वायु की चंचल लहर पर केतु फहराए
चरण बढ़ते जायँ
अंक बनते जायँ
जो दिखाई है प्रगति रुकने न देना
देस और विदेस से ध्वनि पास आती है
जग गई जनता, भरी, है राह, गाती है
विजय का उल्लास
गूँजता आकास
जो जगाई शक्ति है लुकने न देना
विश्व का संघर्ष बढ़ कर पास आता है
है असंभव दूर रहना व्योम गाता है
बैठ कर असहाय सोच सोच उपाय
जो लगाई लौ कभी चुकने न देना
(रचना-काल - 02-11-48)