उसकी कमर पर
वह अपने होठों की तितली
चिपकाना चाहता था
दुख हुआ कि कभी जो तितली से ज़्यादा सुन्दर था
अब ठीक से होंठ भी नहीं थे
वह प्यार था
या उसका न होना
जो उन्हें डरा रहा था
उसकी कमर पर
वह अपने होठों की तितली
चिपकाना चाहता था
दुख हुआ कि कभी जो तितली से ज़्यादा सुन्दर था
अब ठीक से होंठ भी नहीं थे
वह प्यार था
या उसका न होना
जो उन्हें डरा रहा था