देह के भूगोल को
शब्दों में लिपटा
यौवनीय चितराम उभारने के बाद
प्रक़ति की सतरंगी आभा को
कूंची से उकेरने के पश्चाबत
ज्ञान की प्रवाहमयी सरिता
के गहन प्रवचनों के बाद
सरगम के नवीन प्रयोगों से
आहलादित होने के उपरान्ते
यदि
यदि कुछ क्षण मिले
तो मित्र
लिखना, कोरना, गा देना
या कि कह देना तुम
उनके बारे में
जो नहीं रहे
वो नहीं रहने के लिये
नहीं रहे बल्कि
नहीं रहे
ताकि तुम सिरजणरत रहो
बेखौफ, निश्चिंत रहो
कोरो, उकेरो, कहो, गाओ
करो वह सब
स्व च्छ न्द ता से
ऋण तो है मित्र
तुम पर
उनके निरन्ततर
न रहते रहने के कारण
सहुलियतें भोगने का
उऋण को ही सही
कुछ लिखना, कोर देना,
रच देना कुछ
या कि कह देना दो शब्दो
प्रिय मित्र
कुछ क्षण मिले तो
सोच भी लेना
उनके बारे में
जो नहीं रहे....