Last modified on 4 अप्रैल 2020, at 23:35

जो बीता वह कल मत माँगो / रंजना वर्मा

जो बीता वह कल मत माँगो।
जीने का सम्बल मत माँगो॥

जिनमें सपने तैर रहे उन
आँखों का काजल मत माँगो॥

हम बंजारे हैं सपनों का
प्यारा ताजमहल मत माँगो॥

पग-पग कठिन समस्याएँ हैं
हर उलझन का हल मत माँगो॥

सुधा और मदिरा सब दे दी
यह जो बचा गरल मत माँगो॥