जो मंज़र देखने वाली हैं आँखें रोने वाला है
कि फिर बंजर ज़मीं में बीज कोई बोने वाला है।
बहादुर लोग नादिम हो रहे हैं हैरती में हूँ
अजब दहशत-ख़बर है शहर खाली होने वाला है।
जो मंज़र देखने वाली हैं आँखें रोने वाला है
कि फिर बंजर ज़मीं में बीज कोई बोने वाला है।
बहादुर लोग नादिम हो रहे हैं हैरती में हूँ
अजब दहशत-ख़बर है शहर खाली होने वाला है।