Last modified on 29 मार्च 2020, at 13:08

जो सोचोगे वही बनोगे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

ऐसा हुनर कहाँ से लाऊँ,
जो मैं सोचूं वह बन जाऊँ।
ऐसा मैं कुछ क्या कर जाऊँ,
जो मैं सोचूं वह बन जाऊँ।
जो सोचोगे वही बनोगे,
जब तुम महनत कड़ी करोगे।
दूर दृष्टि और दृढ़ विश्वास,
ले जाता मंजिल के पास।