हरा-हरा पंख जेकर, लाल-लाल ठोर
पिंजरा सेॅ बोलै छ,ै भोर-होलै भोर
जेकरा छै बढिया सन घोॅर नै खोता-की छिकै?
बाघ केरो मौसी, घरे-घर मेॅ घूसों
म्याऊं-म्याऊं बोली के पकड़ै छै मूसों
जैसनांे छै पटना, वैहिनें दिल्ली- की छिकै?
हरदम जे आक्सीजन छोड़ै
देवता-पीत्तर लै सब तोड़ै
रोज चिबाबोॅ हुलसी-हुलसी- की छिकै?