ज्या संग मेरा न्याहा लगाया। वाकू मैं धुंडने जाऊंगी॥ध्रु०॥
जोगन होके बनबन धुंडु। आंग बभूत रमायोरे॥१॥
गोकुल धुंडु मथुरा धुंडु। धुंडु फीरूं कुंज गलीयारे॥२॥
मीरा दासी शरण जो आई। शाम मीले ताहां जाऊंरे॥३॥
ज्या संग मेरा न्याहा लगाया। वाकू मैं धुंडने जाऊंगी॥ध्रु०॥
जोगन होके बनबन धुंडु। आंग बभूत रमायोरे॥१॥
गोकुल धुंडु मथुरा धुंडु। धुंडु फीरूं कुंज गलीयारे॥२॥
मीरा दासी शरण जो आई। शाम मीले ताहां जाऊंरे॥३॥