Last modified on 6 दिसम्बर 2011, at 11:43

झलक आती / नंदकिशोर आचार्य

घने अँधियारे जंगल बीच
बहा जाता गो गुपचुप
कहीं झलक-सा जाता है
                   वह जल

तुम्हारी आँख में ज्यों
झलक आती
कभी कोई बूँद ।

5 नवम्बर 2009