काश !
वह झाँकता
इस तरह मेरे भीतर
कि खुल जाती
उम्र की वह स्वेटर
जो वक़्त के काँटे पर
बुनी गई थी
बिना मेरी इजाज़त के ।
काश !
वह झाँकता
इस तरह मेरे भीतर
कि खुल जाती
उम्र की वह स्वेटर
जो वक़्त के काँटे पर
बुनी गई थी
बिना मेरी इजाज़त के ।