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झारखण्ड एक्सप्रेस / अरुण चन्द्र रॉय

धरती का अनाम टुकड़ा
अनाम लोगों की धरती
जँगल, झाड़ और पहाड़ की धरती
यही तो है झारखण्ड

आदिम सभ्यता
विकास की अन्धी दौड़ में
सबसे पीछे
सूरज पेड़ नदी की साथी भूमि
यही तो है झारखण्ड

गाँव अब भी गाँव
शहर अब भी उनीन्दे
बरसाती नदियाँ अब भी
पानी के इन्तज़ार में
दहकते पलाश
और गिरते महुए
यही तो है झारखण्ड

अधनँगे लोग
अधपेट बच्चे
पसली दिखाते शिशु
यही तो है झारखण्ड

इसी धरती को
देश की राजधानी से जोड़ने के लिए
चलती है एक ट्रेन
झारखण्ड एक्सप्रेस