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झूर मछरी / देवानंद शिवराज

जाके बसे हॉलैंड में
माँगे चटनी आम
पैसा गिरे आस पास से
करना पड़े यहाँ न काम
चाचा तुम भी चले आओ
छोड़ो नरक देश है सूरीनाम
झूर मछरी माँगे हमसे
कैसे कहूँ मैं इसका दाम
हमारा सूरीनाम प्यारा देश
इसकी रखूँ मैं नित शान
डरपोक बन न भागूँगा
इस पर हो जाऊँ कुरबान
जान बचाने भी भागूँ नहीं
अपने घर में बैठे बचाऊँ प्राण
झण्डा ऊँचा रहे हमारा
चाहे आवे आँधी तूफान।